Paroles
कैसे मिले मुझे तुम कि जैसे ख़्वाबों में गुम
अनजान राहें मेरी, तू मिली मीठी सी धुन
ना जाने कहाँ, कैसे तू लौट आए
कि जैसे बादलों में छुपी घटाएँ
घूमे तू मेरे दाएँ-बाएँ, कैसे तू शरमाए
हँसाए-रुलाए, तू ही तो मनाए
दाएँ-बाएँ, कैसे तू शरमाए
हँसाए-रुलाए, तू ही तो मनाए
सुनते रहें बतियाँ तेरी आजकल
ऐसे बीते रतियाँ जैसे एक ग़ज़ल
सुनते रहें बतियाँ तेरी आजकल
ऐसे बीते रतियाँ जैसे एक ग़ज़ल
ना जाने कहाँ, कैसे तू लौट आए
कि जैसे वादियों में गूँजी सदाएँ
घूमे तू मेरे दाएँ-बाएँ, कैसे तू शरमाए
हँसाए-रुलाए, तू ही तो मनाए
दाएँ-बाएँ, कैसे तू शरमाए
हँसाए-रुलाए, तू ही तो मनाए
Writer(s): Sahil Magar
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