Crédits
COMPOSITION ET PAROLES
Shivargh Bhattacharya
Paroles/Composition
Salman Khayaal
Paroles/Composition
PRODUCTION ET INGÉNIERIE
Naman Kasturi
Production
Pranjal Varshney
Ingénierie de mixage
Paroles
भूल जाना है मुश्किल मगर
याद रखने से क्या फ़ायदा
काफ़ी कभी कुछ भी होता नहीं
जुस्तजू क्यों करें बेवजह
पैरों में बाँध कर फ़ासले
ढूँढना फिर नये क़ाफ़िले
राहें अगर मिल भी जाएँ तो क्या
जुड़ते कहाँ हैं सिलसिले
क्या है मुनासिब क्या क़ायदा
याद रखने से क्या फ़ायदा
क्या है मुनासिब क्या क़ायदा
याद रखने से क्या फ़ायदा
दिल ने कई ख़्वाब ऐसे बुने
जो आँखों में संग संग पले
शामें कई गुज़ारी गयीं
इक गुलमुहर के तले
ख़्वाबों की ताबीर बनना था जो
टूटी हुई एक तस्वीर है
गुज़रा हुआ वक़्त गुज़रे कहाँ
सीने में दस्ता हुआ तीर है
वो लम्हा भी वक़्त में खो गया
और गुलमुहर चुप हो गया
क्या है मुनासिब क्या क़ायदा
याद रखने से क्या फ़ायदा
क्या है मुनासिब क्या क़ायदा
याद रखने से क्या फ़ायद
Written by: Salman Khayaal, Shivargh Bhattacharya

