Clip vidéo

Lord Shiva by UMA MOHAN SHIVA TANDAVA STOTRAM | Audio | महा शिवरात्रि स्पेशल |
Regarder le vidéoclip de {trackName} par {artistName}

Apparaît dans

Crédits

INTERPRÉTATION
Uma Mohan
Uma Mohan
Interprète
COMPOSITION ET PAROLES
Uma Mohan
Uma Mohan
Paroles/Composition
Prithvi Chandrashekhar
Prithvi Chandrashekhar
Paroles/Composition

Paroles

जटाटवी गलज्जल प्रवाह पावित स्थले गलेऽव लम्ब्य लम्बितां भुजंग तुंग मालिकाम् डमड्डमड्डमड्डम न्निनादव ड्डमर्वयं चकार चण्ड्ताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् जटा कटा हसं भ्रमभ्रमन्नि लिम्प निर्झरी विलोलवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि धगद्धगद्धग ज्ज्वल ल्ललाट पट्ट पावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम धरा धरेन्द्र नंदिनीविलास बन्धु बन्धुर स्फुर द्दिगन्त सन्ततिप्रमोद मान मानसे कृपा कटाक्ष धोरणी निरुद्ध दुर्धरापदि क्वचि द्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि जटा भुजंग पिंगल स्फुरत्फणा मणिप्रभा कदम्ब कुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्व धूमुखे मदान्ध सिन्धुर स्फुरत्त्व गुत्तरी यमे दुरे मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॐ नमः शिवाय सदा शिवम् भजाम्यहम् सदा शिवम् भजाम्यहम् ॐ नमः शिवाय सहस्रलोचनप्रभृत्य शेष लेख शेखर प्रसून धूलि धोरणी विधू सरांघ्रि पीठभूः भुजंगराज मालया निबद्ध जाटजूटक: श्रियै चिराय जायतां चकोर बन्धु शेखरः ललाट चत्वर ज्वलद्धनंजय स्फुलिंगभा निपीत पंच सायकं नमन्नि लिम्प नायकम् सुधा मयूख लेखया विराजमान शेखरं महाकपालि सम्पदे शिरो जटाल मस्तुनः कराल भाल पट्टिका धगद्धगद्धग ज्ज्वल द्धनंज याहुतीकृत प्रचण्डपंच सायके धरा धरेन्द्र नन्दिनी कुचाग्रचित्र पत्रक प्रकल्प नैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम नवीन मेघ मण्डली निरुद्ध दुर्धर स्फुरत् कुहू निशी थिनी तमः प्रबन्ध बद्ध कन्धरः निलिम्प निर्झरी धरस्त नोतु कृत्ति सिन्धुरः कला निधान बन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॐ... प्रफुल्ल नीलपंकज प्रपंच कालिमप्रभा वलम्बि कण्ठ कन्दली रुचिप्रबद्ध कन्धरम् स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकछिदं तमंतक च्छिदं भजे अखर्वसर्व मंग लाकला कदंबमंजरी रस प्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम् स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं गजान्त कान्ध कान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॐ जयत्व दभ्र विभ्र म भ्रमद्भुजंग मश्वस द्विनिर्गमत्क्रम स्फुरत्कराल भाल हव्यवाट् धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदंग तुंग मंगल ध्वनि क्रम प्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः दृष द्विचित्र तल्पयोर्भुजंग मौक्तिकस्रजोर् गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्वि पक्षपक्षयोः तृणार विन्द चक्षुषोः प्रजा मही महेन्द्रयोः समप्रवृतिकः कदा सदाशिवं भजाम्यहम् कदा निलिम्प निर्झरीनिकुंज कोटरे वसन् विमुक्त दुर्मतिः सदा शिरःस्थ मंजलिं वहन् विलोल लोल लोचनो ललाम भाललग्नकः शिवेति मंत्र मुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् इमम ही नित्यमेव मुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धि मेति संततम् हरे गुरौ सुभक्तिमा शुयातिना न्यथा गतिं विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिंतनम् विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॐ
Writer(s): Uma Mohan Lyrics powered by www.musixmatch.com
instagramSharePathic_arrow_out