गाने
अजनबी खुद से रहा मैं
कैसे अपनी तलाश में
कभी खुद को जो नज़र आया
हुआ अपने खिलाफ मैं
जिस मोड़ पे तुम गुम हुए
वहीं वक़्त ये थम गया
ना मिली कभी मझको ख़ुशी
ना ये कमबख्त गम गया
ज़िन्दगी एक सज़ा क्यूँ है
कैद अपने ही हाल में
ढूँढता हूँ जवाब लेकिन
उलझा हूँ सवालों में
जिस मोड़ पे तुम गुम हुए
वहीं वक़्त ये थम गया
ना मिली कहीं मझको ख़ुशी
ना ये कमबख्त गम गया
तुझे है पता तू मुझे बता
क्या मेरी खता
अब लगता अधूरा, हर सिलसिला
ये जूनून लिए शिकवे किये
कैसे हम जिए
तेरी याद में हो गया हूँ सरफिरा
किसी राह पे मेरे हमनवा
यूँही मुझसे मिल कहीं बेवजह
फिर मुझे ख्वाब वो तू दिखा
जिस मोड़ पे तुम गुम हुए
वहीं वक़्त ये थम गया
ना मिली कहीं मझको ख़ुशी
ना ये कमबख्त गम गया
जिस मोड़ पे
वहीं वक़्त ये थम गया
ना मिली कहीं मझको ख़ुशी
ना ये कमबख्त गम गया
Writer(s): Anurag Saikia, Akarsh Khurana
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