गाने

कर मेहरबानी ये, मेहरबाँ रख दे खुद को मेरे दरमियाँ छोड़ दे तू मेरे जिस्म पर अपनी चाहतों के कुछ निशाँ एक सिवा तेरे मैं क्या सोचूँ? अब सिवा तेरे मैं क्या देखूँ? तू मुझमें इतना बिखरा है रूह तक तू मेरी उतरा है मेरी चाहत का ये वादा है तू मुझमें, मुझसे ज़्यादा है कर मेहरबानी ये, मेहरबाँ रख दे खुद को मेरे दरमियाँ (दरमियाँ) छोड़ दे तू मेरे जिस्म पर अपनी चाहतों के कुछ निशाँ (कुछ निशाँ) मेरी हर एक साँस तेरी साँस से अब जुड़ गई बहते-बहते मेरी धड़कन तेरी तरफ़ मुड़ गई मैं तेरा साया सदा पाऊँ खुद में कुछ हर पल नया पाऊँ दिल फ़िदा तुझ पर हमारा है तेरी ख़ातिर सब गवारा है मेरी चाहत का ये वादा है तू मुझमें, मुझसे ज़्यादा है तू मुझमें, मुझसे ज़्यादा है कर मेहरबानी ये, मेहरबाँ रख दे खुद को मेरे दरमियाँ छोड़ दे तू मेरे जिस्म पर अपनी चाहतों के कुछ निशाँ
Writer(s): Vardan Singh, Anjaan Sagri Lyrics powered by www.musixmatch.com
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