में प्रस्तुत
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क्रेडिट्स
PERFORMING ARTISTS
Asha Bhosle
Lead Vocals
R.D. Burman
Performer
Gulzar
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Gulzar
Songwriter
गाने
मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है
मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है
ओ, सावन के कुछ भीगे-भीगे दिन रखे हैं
हो, और मेरे इक ख़त में लिपटी राख पड़ी है
वो राख बुझा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
वो राख बुझा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है
ओ, सावन के कुछ भीगे-भीगे दिन रखे हैं
हो, और मेरे इक ख़त में लिपटी राख पड़ी है
वो राख बुझा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
पतझड़ है कुछ, है ना? Hmm
ओ, पतझड़ में कुछ पत्तों के गिरने की आहट
कानों में इक बार पहन के लौटाई थी
पतझड़ की वो शाख़ अभी तक काँप रही है
वो शाख़ गिरा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
वो शाख़ गिरा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
एक अकेली छतरी में जब आधे-आधे भीग रहे थे
एक अकेली छतरी में जब आधे-आधे भीग रहे थे
आधे सूखे, आधे गीले, सूखा तो मैं ले आई थी
गीला मन शायद बिस्तर के पास पड़ा हो
वो भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
११६ चाँद की रातें, एक तुम्हारे काँधे का तिल
११६ चाँद की रातें, एक तुम्हारे काँधे का तिल
गीली मेहँदी की ख़ुशबू, झूठ-मूठ के शिकवे कुछ
झूठ-मूठ के वादें भी सब याद करा दूँ
सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
एक इजाज़त दे दो बस, जब इसको दफ़नाऊँगी
मैं भी वहीं सो जाऊँगी, मैं भी वहीं सो जाऊँगी
Writer(s): Gulzar, Rahul Dev Burman
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