Dari
PERFORMING ARTISTS
Bhupinder Singh
Lead Vocals
Suresh Wadkar
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Gulzar
Lyrics
Rahul Dev Burman
Composer
Lirik
हुज़ूर इस कदर भी ना इतरा के चलिए
हुज़ूर इस कदर भी ना इतरा के चलिए
खुले आम आँचल ना लहरा के चलिए
हुज़ूर इस कदर भी ना इतरा के चलिए
खुले आम आँचल ना लहरा के चलिए
हुज़ूर इस कदर भी ना इतरा के चलिए
कोई मनचला गर पकड़ लेगा आँचल
हाँ, कोई मनचला गर पकड़ लेगा आँचल
ज़रा सोचिए आप क्या कीजिएगा
लगा दे अगर बढ़ के ज़ुल्फ़ों में कलिया
लगा दे अगर बढ़ के ज़ुल्फ़ों में कलिया
तो क्या अपनी ज़ुल्फ़े झटक दीजियेगा
हुज़ूर इस कदर भी ना इतरा के चलिए
खुले आम आँचल ना लहरा के चलिए
हुज़ूर इस कदर भी ना इतरा के चलिए
बहुत खूबसूरत है हर बात लेकिन
बहुत खूबसूरत है हर बात लेकिन
अगर दिल भी होता तो क्या बात होती
लिखी जाती फिर दास्तान-ए-मुहब्बत
लिखी जाती फिर दास्तान-ए-मुहब्बत
इक अफसाने जैसी मुलाक़ात होती
हुज़ूर इस कदर भी ना इतरा के चलिए
खुले आम आँचल ना लहरा के चलिए
हुज़ूर इस कदर भी ना इतरा के चलिए
खुले आम आँचल ना लहरा के चलिए
हुज़ूर इस कदर भी ना इतरा के चलिए
Written by: Gulzar, R.D. Burman

