Lirik

तारीक फ़िज़ाओं में नूर-ए-सहर पिंहा जैसे कि सदफ़ में शफ़्फ़ाफ़ गौहर पिंहा तक़दीर बदलने में... तक़दीर बदलने में इक पल भी ना लगा होती जब इनायत की इक नज़र पिंहा एक मुश्त-ए-पर सही, है तो आसमाँ के बीच ले जाए हवा, इतनी हवा से कम नहीं ऐ, काश इस दुनिया को इसकी ख़बर होती इस छोटी दुनिया में ग़म के नगर पिंहा ज़िंदाँ के अँधेरों से... (ज़िंदाँ के अँधेरों से...) ओ, ज़िंदाँ के अँधेरों से घबरा के ना डरा महबूस फ़िज़ाओं में फ़त्ह-ओ-ज़फ़र पिंहा एक मुश्त-ए-पर सही, है तो आसमाँ के बीच ले जाए हवा, इतनी हवा से कम नहीं सब जहाँ एक दिल के बीच में सब जहाँ एक दिल के बीच में सब जहाँ एक दिल के बीच में सब जहाँ एक दिल के बीच में सब जहाँ एक दिल के बीच में सब जहाँ एक दिल के बीच में सब जहाँ एक दिल के बीच में एक मुश्त-ए-पर सही, है तो आसमाँ के बीच ले जाए हवा, इतनी हवा से कम नहीं
Writer(s): Annette Philip Lyrics powered by www.musixmatch.com
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