Lirik
बेचैनियाँ भी तोह आखिर
थाम दी हैं मुझे
नाच के जताऊँ
लाज़मी है मुझे
जीने की ये वजह भी
सामने जो जले
काली सी ये रातें
खाली सी
दूरी से यु बेगुना भी
प्यार भी है मुझे
नाच के मैं बताऊँ
चाल जो तू चले
जान देदी है लेकिन
सांस भी है मुझे
एक बार तोह आ मिल
लाज़मी है तुझे
लाचार हु मैं भी आखिर
माँ कसम भूल पाऊँ ना
सादगी माफ़िक हूँ मैं ओह नासिर
गोद लेके सेहलाओ ना
गुस्ताखी माफ़ हो ओह हुज़ूर
क्यों है ये भेद ज़रूरी
मेरा सर अपने सीने लगा फ़िर
फ़िर भी ये पल बिताऊँ ना
बेचैनियाँ भी तोह आखिर
थाम दी हैं मुझे
नाच के जताऊँ
लाज़मी है मुझे
जीने की ये वजह भी
सामने जो जले
काली सी ये रातें
खाली सी
दूरी से यु बेगुना भी
प्यार भी है मुझे
नाच के मैं बताऊँ
चाल जो तू चले
जान देदी है लेकिन
सांस भी है मुझे
एक बार तोह आ मिल
लाज़मी है तुझे
Written by: Yash Saxena