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फिर वही शाम, वही ग़म, वही तनहाई है
दिल को समझाने तेरी याद चली आई है
फिर वही शाम, वही ग़म, वही तनहाई है
दिल को समझाने तेरी याद चली आई है
फिर वही शाम...
फिर तसव्वुर तेरे पहलू में बिठा जाएगा
फिर तसव्वुर तेरे पहलू में बिठा जाएगा
फिर गया वक़्त घड़ी भर को पलट आएगा
दिल बहल जाएगा आख़िर को तो सौदाई है
फिर वही शाम, वही ग़म, वही तनहाई है
दिल को समझाने तेरी याद चली आई है
फिर वही शाम...
जाने अब तुझ से मुलाक़ात कभी हो के ना हो
जाने अब तुझ से मुलाक़ात कभी हो के ना हो
जो अधूरी रही, वो बात कभी हो के ना हो
मेरी मंज़िल तेरी मंज़िल से बिछड़ आई है
फिर वही शाम, वही ग़म, वही तनहाई है
दिल को समझाने तेरी याद चली आई है
फिर वही शाम...
Writer(s): Rajinder Krishan, Madan Mohan
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