Testi
कभी यूँ भी आ मेरी आँख में
कि मेरी नज़र को ख़बर ना हो
कभी यूँ भी आ मेरी आँख में
कि मेरी नज़र को ख़बर ना हो
मुझे एक रात नवाज़ दे
मुझे एक रात नवाज़ दे
मगर उसके बाद सहर ना हो
कभी यूँ भी आ मेरी आँख में
कि मेरी नज़र को ख़बर ना हो
Writer(s): Bashir Badar, Jagjit Singh
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