Testi

मैं वो रात हूँ, वो हालात हूँ जिसकी ना है दूर-दूर अब तो सुबह कोई मैं तो शोर हूँ, पर चुप-चाप हूँ मुझसे कोई ख़ाली नहीं देखो जगह कोई सुन ले, मेरी आँखों की ज़मीं पे दे ना दिखाई कुछ नमी से कोई तो जाने मेरी बेबसी-बेबसी, ओ-ओ सुन ले, मेरा सूरज भी ग़लती से डूबा मेरी खिड़की पे कहाँ से आएगी, हाँ, रोशनी-रोशनी? ओ... हाँ, दिन में ही शाम सी है, थोड़ी थकान सी है हारा नही हूँ मैं अब तलक तो, मैं उठ के फिर खड़ा हूँ देखो हाँ, मेरे हाथों की लकीरें मेरे हाथों में बची हैं कोई क्या मिटाएगा आ के इनको, मेरे हाथों में रहेंगी तो फिर दर्द सारे ये दबा के, ज़िद को ज़िद्दी बना के अब रहूँगा नहीं यूँ चुप मैं, चुप मैं, ओ-ओ तो फिर साँसें ज़ख्मी बना के, क़स्में आँसुओं की खा के अब लड़ूँगा यहाँ भी ख़ुद मैं, ख़ुद मैं, ओ...
Writer(s): Abhendra Kumar Upadhyay, Mannan Shaah Lyrics powered by www.musixmatch.com
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