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कैसे कहूँ, कैसे हो तुम कोई नहीं, जैसे हो तुम जान भी तुम और दिल भी तुम सबकुछ हो, ऐसे हो तुम राहों में, बाँहों में, आहों में तुम ही तुम कैसे कहूँ, कैसे हो तुम कोई नहीं, जैसे हो तुम राह भी तुम, मंज़िल भी तुम सबकुछ हो, ऐसे हो तुम आँखों में, नींदों में, ख़्वाबों में तुम ही तुम कैसे कहूँ, कैसे हो तुम कोई नहीं, जैसे हो तुम तुम हो जहाँ, मैं हूँ वहीं तुम बिन, सनम, मैं कुछ नहीं तुम हो हसीं, तुम मह-जबीं तुम नाज़नीं, तुम दिल-नशीं मेरे दिल में तुम हो, तुम ही तुम कैसे कहूँ, कैसे हो तुम कोई नहीं, जैसे हो तुम सागर भी, साहिल भी तुम सबकुछ हो, ऐसे हो तुम कलियों में, फूलों में, तारों में तुम ही तुम तुम जब मिले मैं खो गई तुम पर फ़िदा मैं हो गई तुम ज़िंदगी, तुम ताज़गी तुम रोशनी, तुम चाँदनी मेरे दिल में तुम हो, तुम ही तुम कैसे कहूँ, कैसे हो तुम कोई नहीं, जैसे हो तुम मेहमाँ भी, महफ़िल भी तुम सबकुछ हो, ऐसे हो तुम गीतों में, रागों में, साज़ों में तुम ही तुम हो, कैसे कहूँ, कैसे हो तुम कोई नहीं, जैसे हो तुम जान भी तुम और दिल भी भी तुम सबकुछ हो, ऐसे हो तुम
Writer(s): Javed Akhtar, Anu Malik Lyrics powered by www.musixmatch.com
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