クレジット
PERFORMING ARTISTS
Mohd. Rafi
Lead Vocals
Irshad
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Usha Khanna
Composer
Kamal Joshi
Composer
Irshad
Songwriter
歌詞
जो ज़ुबान-ए-दिल ना समझ सके
जो ना कह सके कभी दिल की बात
वही बुत है हर-सू निगाह में
जहाँ देखिए, जहाँ जाइए
थी नज़र को चाह की आरज़ू
यही एक अपनी थी जुस्तजू
ये तो पत्थरों का शहर है
यहाँ किस को अपना बनाइए
वही वलवले, वही मरहले
वही सुब्ह-ओ-शाम के सिलसिले
वही हम रहे, वही तुम रहे
वही ज़िंदगानी के ग़म रहे
ना नसीब अपना सँभल सका
ना ही वक़्त हमको बदल सका
यहाँ ज़िंदगी एक ज़हर है
ये तो एक पराया शहर है
किसे दाग़ दिल के दिखाइए
किसे दाग़ दिल के दिखाइए
ये कहानी किस को सुनाइए
ये तो पत्थरों का शहर है
यहाँ किस को अपना बनाइए
मुझे छोड़ कर वो चले गए
मेरे दिल की दिल में ही रह गई
इक उम्मीद थी जो बुझी-बुझी
मेरे आँसुओं में वो बह गई
मेरे दर्द-ए-दिल का हो क्या भला
मेरा चारा-गर ही चला गया
मैं जियूँ तो आख़िर किस लिए
कि नहीं है कोई मेरे लिए
कहाँ जा के मौत को ढूँढिए
कहाँ जा के मौत को ढूँढिए
कहाँ जान अपनी गँवाइए
ये तो पत्थरों का शहर है
यहाँ किस को अपना बनाइए
Written by: Irshad, Kamal Joshi, Usha Khanna