クレジット

PERFORMING ARTISTS
Suresh Wadkar
Suresh Wadkar
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Laxmikant-Pyarelal
Laxmikant-Pyarelal
Composer
Santosh Anand
Santosh Anand
Songwriter

歌詞

अरे, कुछ नहीं, कुछ नहीं
अरे, कुछ नहीं, कुछ नहीं
फिर कुछ नहीं है भाता, जब रोग ये लग जाता
मैं हूँ प्रेम रोगी...
हाँ, मैं हूँ प्रेम रोगी, मेरी दवा तो कराओ
मैं हूँ प्रेम रोगी, मेरी दवा तो कराओ
जाओ, जाओ, जाओ किसी वैद्य को बुलाओ
मैं हूँ प्रेम रोगी...
फिर कुछ नहीं है भाता, जब रोग ये लग जाता
मैं हूँ प्रेम रोगी, मेरी दवा तो कराओ
मैं हूँ प्रेम रोगी...
कुछ समझा, कुछ समझ ना पाया
कुछ समझा, कुछ समझ ना पाया
दिल वाले का दिल भर आया
और कभी सोचा जाएगा
क्या कुछ खोया, क्या कुछ पाया
जा तन लागे वो तन जाने
जा तन लागे वो तन जाने
ऐसी है इस रोग की माया
मेरी इस हातल को
हाँ, मेरी इस हातल को नज़र ना लगाओ
मेरी इस हातल को नज़र ना लगाओ
हो, जाओ, जाओ, जाओ किसी वैद्य को बुलाओ
मैं हूँ प्रेम रोगी...
सोच रहा हूँ जग क्या होता
सोच रहा हूँ जग क्या होता
इसमें अगर ये प्यार ना होता
मौसम का एहसास ना होता
गुल गुलशन गुलज़ार ना होता
होने को कुछ भी होता पर
होने को कुछ भी होता पर
ये सुंदर संसार ना होता
मेरे इन ख़यालों में
मेरे इन ख़यालों में तुम भी डूब जाओ
मेरे इन ख़यालों में तुम भी डूब जाओ
जाओ, जाओ, जाओ किसी वैद्य को बुलाओ
मैं हूँ प्रेम रोगी...
यारों है वो क़िस्मत वाला
प्रेम रोग जिसे लग जाता है
सुख-दुःख का उसे होश नहीं है
अपनी लौ में रम जाता है
हर पल ख़ुद ही ख़ुद हँसता है
हर पल ख़ुद ही ख़ुद रोता है
ये रोग लाइलाज सही, फिर भी कुछ कराओ
ओ, जाओ, जाओ, जाओ
अरे, जाओ, जाओ, जाओ, मेरे वैद्य को बुलाओ
मेरा इलाज कराओ
और नहीं कोई तो मेरे यार को बुलाओ
ओ, जाओ, जाओ, जाओ, मेरे दिलदार को बुलाओ
ओ, जाओ, जाओ, जाओ, मेरे यार को बुलाओ
मैं हूँ प्रेम रोगी...
Written by: Laxmikant-Pyarelal, Santosh Anand
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