歌詞

बेख़याली में भी तेरा ही ख़याल आए "क्यूँ बिछड़ना है ज़रूरी?" ये सवाल आए तेरी नज़दीकियों की खुशी बेहिसाब थी हिस्से में फ़ासले भी तेरे बेमिसाल आए मैं जो तुमसे दूर हूँ, क्यूँ दूर मैं रहूँ? तेरा ग़ुरूर हूँ आ, तू फ़ासला मिटा, तू ख़्वाब सा मिला क्यूँ ख़्वाब तोड़ दूँ? बेख़याली में भी तेरा ही ख़याल आए "क्यूँ जुदाई दे गया तू?" ये सवाल आए थोड़ा सा मैं ख़फ़ा हो गया अपने-आप से थोड़ा सा तुझपे भी बेवजह ही मलाल आए रातें देंगी बता, नींदों में तेरी ही बात है भूलूँ कैसे तुझे? तू तो ख़यालों में साथ है बेख़याली में भी तेरा ही ख़याल आए "क्यूँ बिछड़ना है ज़रूरी?" ये सवाल आए नज़र के आगे, हर-एक रेत की तरह बिखर रहा है दर्द तुम्हारा बदन में मेरे ज़हर की तरह उतर रहा है नज़र के आगे, हर-एक रेत की तरह बिखर रहा है दर्द तुम्हारा बदन में मेरे ज़हर की तरह उतर रहा है
Writer(s): Kamil Irshad, Tandon Sachet, Thakur Parampara Lyrics powered by www.musixmatch.com
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