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クレジット
PERFORMING ARTISTS
Sonu Nigam
Vocals
Anu Malik
Performer
Sayeed Quadri
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Anu Malik
Composer
Sayeed Quadri
Lyrics
PRODUCTION & ENGINEERING
Mukesh Bhatt
Producer
歌詞
ज़िंदगी इस तरह से लगने लगी
रंग उड़ जाए ज्यों दीवारों से
अब छुपाने को अपना कुछ ना रहा
ज़ख़म दिखने लगे दरारों से
अब तलक सिर्फ़ तुझ को देखा था
आज तू क्या है, ये भी जान लिया
आज जब ग़ौर से तुझे देखा
हम ग़लत थे कहीं, ये मान लिया
हम ग़लत थे कहीं, ये मान लिया
तेरी हर भूल में कहीं शायद
हम भी शामिल है गुनहगारों से
अब छुपाने को अपना कुछ ना रहा
ज़ख़म दिखने लगे दरारों से
आ, मेरे साथ मिलके हम फिर से
अपने ख़ाबों का घर बनाते हैं
जो भी बिखरा है, वो समेटते हैं
ढूँढ कर फिर ख़ुशी को लाते हैं
ढूँढ कर फिर ख़ुशी को लाते हैं
बोझ तो ज़िंदगी का कटता है
एक-दूजे के ही सहारों से
ज़िंदगी इस तरह से लगने लगी
रंग उड़ जाए ज्यों दीवारों से
अब छुपाने को अपना कुछ ना रहा
ज़ख़म दिखने लगे दरारों से
Writer(s): Sayeed Quadri, Anu Malik
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