가사

हल्की-हल्की खुशबू सी तुम हो जैसे सुबहों का जादू हो धीमी-धीमी इस पल में तुम हो जैसे झरने में बादल हो तुम्हें छू लूँ तो तुम उड़ जाओ तुमको पकड़ूँ तो शर्मा जाओ पलट मेरी जाँ कुछ मेरी सुन, कुछ अपनी सुना मुझको सीने से ले तू लगा मेरी धड़कन हुई है जवाँ पलट मेरी जाँ तू मेरा दिन, तू मेरी सुबह मेरी ख़ामोशियों की सदा मेरे इश्क़ की तू इंतहा ओस में छलकी बूँदों जैसी हो सुबहों में छनती किरणों जैसी जिस रुत में हो खिल जाए वो गीतों में लफ़्ज़ों की तरह मीठे सुरों का हो बयाँ मैं पलक झपकूँ तो तुम आ जाओ ठंडी साँसों को गर्मा जाओ पलट मेरी जाँ इश्क़ तेरा ही मेरा जहाँ रूह में मेरी तेरा गुमाँ तेरी चाहत में मैं हूँ फ़ना पलट मेरी जाँ देखा है मैंने तुझमें ख़ुदा है इबादत तेरी हर अदा मेरे इश्क़ की तू इंतहा, हो...
Writer(s): Ali Zafar Lyrics powered by www.musixmatch.com
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