뮤직 비디오

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크레딧

실연 아티스트
Altaf Raja
Altaf Raja
실연자
작곡 및 작사
Mohammed Shafi Niyazi
Mohammed Shafi Niyazi
작곡가
Qaiser -Ul - Jafri
Qaiser -Ul - Jafri
송라이터

가사

कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते किसी की आँख में रहकर सँवर गए होते ग़ज़ल ने बहते हुए फूल चुन लिए, वरना ग़मों में डूब के हम लोग मर गए होते आवारा हवा का... आवारा हवा का झोंका हूँ आ निकला हूँ पल-दो-पल के लिए (आवारा हवा का झोंका हूँ) (आ निकला हूँ पल-दो-पल के लिए) (आवारा हवा का झोंका हूँ) (आ निकला हूँ पल-दो-पल के लिए) आवारा हवा का झोंका हूँ आवारा हवा का झोंका हूँ आ निकला हूँ पल-दो-पल के लिए (आ निकला हूँ पल-दो-पल के लिए) (आ निकला हूँ पल-दो-पल के लिए) दौलत, ना कोई ताजमहल छोड़ जाएँगे दौलत, ना कोई ताजमहल छोड़ जाएँगे हम अपनी यादगार ग़ज़ल छोड़ जाएँगे तुम आज जितनी चाहे हमारी हँसी उड़ाओ रोता हुआ मगर तुम्हें कल छोड़ जाएँगे (आ निकला हूँ पल-दो-पल के लिए) (आ निकला हूँ पल-दो-पल के लिए) ज़र्रों में रहगुज़र के चमक छोड़ जाऊँगा ज़र्रों में रहगुज़र के चमक छोड़ जाऊँगा पहचान अपनी दूर तलक छोड़ जाऊँगा खामोशियों की मौत गवारा नहीं मुझे शीशा हूँ, टूटकर भी खनक छोड़ जाऊँगा (आ निकला हूँ पल-दो-पल के लिए) (आ निकला हूँ पल-दो-पल के लिए) आवारा हवा का झोंका हूँ आ निकला हूँ पल-दो-पल के लिए आ निकला हूँ पल-दो-पल के लिए तुम आज तो पत्थर... तुम आज तो पत्थर बरसा लो कल रोओगे मुझ पागल के लिए (तुम आज तो पत्थर बरसा लो) (कल रोओगे मुझ पागल के लिए) (तुम आज तो पत्थर बरसा लो) (कल रोओगे मुझ पागल के लिए) खुशबू ना सही, रंगत ना सही खुशबू ना सही, रंगत ना सही फिर भी है वफ़ा का नज़राना (फिर भी है वफ़ा का नज़राना) (फिर भी है वफ़ा का नज़राना) फूल मेयार तक नहीं पहुँचा फूल मेयार तक नहीं पहुँचा दामन-ए-यार तक नहीं पहुँचा हो गया वो क़फ़स से तो आज़ाद फिर भी गुलज़ार तक नहीं पहुँचा (फिर भी है वफ़ा का नज़राना) (फिर भी है वफ़ा का नज़राना) जो तीर भी आता है वो ख़ाली नहीं जाता जो तीर भी आता है वो ख़ाली नहीं जाता मायूस मेरे दर से सवाली नहीं जाता अरे, काँटे ही किया करते हैं फूलों की हिफ़ाज़त फूलों को बचाने कोई माली नहीं जाता (फिर भी है वफ़ा का नज़राना) (फिर भी है वफ़ा का नज़राना) खुशबू ना सही, रंगत ना सही फिर भी है वफ़ा का नज़राना फिर भी है वफ़ा का नज़राना पतझड़ से चुरा कर... पतझड़ से चुरा कर लाया हूँ दो फूल तेरे आँचल के लिए (पतझड़ से चुरा कर लाया हूँ) (दो फूल तेरे आँचल के लिए) (पतझड़ से चुरा कर लाया हूँ) (दो फूल तेरे आँचल के लिए) दिल और जिगर तो कुछ भी नहीं दिल और जिगर तो कुछ भी नहीं एक बार इशारा तो कर दे (एक बार इशारा तो कर दे) (एक बार इशारा तो कर दे) आज वो भी इश्क़ के मारे नज़र आने लगे आज वो भी इश्क़ के मारे नज़र आने लगे उनकी भी नींद उड़ गई, तारे नज़र आने लगे आँख वीराँ, दिल परेशाँ, ज़ुल्फ़ बरहम, लब खामोश आँख वीराँ, दिल परेशाँ, ज़ुल्फ़ बरहम, लब खामोश अब तो वो कुछ और भी प्यारे नज़र आने लगे (एक बार इशारा तो कर दे) (एक बार इशारा तो कर दे) ये आईने जो तुम्हें कम पसंद करते हैं ये आईने जो तुम्हें कम पसंद करते हैं वो जानते हैं, तुम्हें हम पसंद करते हैं (एक बार इशारा तो कर दे) (एक बार इशारा तो कर दे) दिल और जिगर तो कुछ भी नहीं एक बार इशारा तो कर दे एक बार इशारा तो कर दे मैं खुद को जला भी... मैं खुद को जला भी सकता हूँ तेरी आँखों के काजल के लिए (मैं खुद को जला भी सकता हूँ) (तेरी आँखों के काजल के लिए) (मैं खुद को जला भी सकता हूँ) (तेरी आँखों के काजल के लिए) हम लोग हैं ऐसे दीवाने हम लोग हैं ऐसे दीवाने जो ज़िद पे कभी आ जाएँ तो (जो ज़िद पे कभी आ जाएँ तो) (जो ज़िद पे कभी आ जाएँ तो) इश्क़ में जो भी मुब्तिला होगा इश्क़ में जो भी मुब्तिला होगा उसका अंदाज़ ही जुदा होगा और भाव क्यूँ गिर गया है सोने का? भाव क्यूँ गिर गया है सोने का? उसने पीतल पहन लिया होगा (जो ज़िद पे कभी आ जाएँ तो) (जो ज़िद पे कभी आ जाएँ तो) शहर की एक अमीरज़ादी को शहर की एक अमीरज़ादी को कल इन आँखों से मैंने देखा था ठीक उस वक्त मुफ़लिसी ने मेरी हँस के मेरा मिज़ाज पूछा था (जो ज़िद पे कभी आ जाएँ तो) (जो ज़िद पे कभी आ जाएँ तो) हम लोग हैं ऐसे दीवाने जो ज़िद पे कभी आ जाएँ तो जो ज़िद पे कभी आ जाएँ तो सहरा से उठाकर... सहरा से उठाकर लाएँगे झंकार तेरी पायल के लिए (सहरा से उठाकर लाएँगे) (झंकार तेरी पायल के लिए) (सहरा से उठाकर लाएँगे) (झंकार तेरी पायल के लिए) ये खेल तमाशा लगता है ये खेल तमाशा लगता है तक़दीर के गुलशन का शायद (तक़दीर के गुलशन का शायद) (तक़दीर के गुलशन का शायद) फूल के साथ-साथ गुलशन में सोचता हूँ बबूल भी होंगे फूल के साथ-साथ गुलशन में सोचता हूँ बबूल भी होंगे क्या हुआ उसने बेवफ़ाई की? उसके अपने उसूल भी होंगे (तक़दीर के गुलशन का शायद) (तक़दीर के गुलशन का शायद) यूँ बड़ी देर से पैमाना लिए बैठा हूँ यूँ बड़ी देर से पैमाना लिए बैठा हूँ कोई देखे तो ये समझे कि पिए बैठा हूँ ज़िंदगी भर के लिए रूठ के जाने वाले ज़िंदगी भर के लिए रूठ के जाने वाले मैं अभी तक तेरी तस्वीर लिए बैठा हूँ (तक़दीर के गुलशन का शायद) (तक़दीर के गुलशन का शायद) ये खेल तमाशा लगता है तक़दीर के गुलशन का शायद तक़दीर के गुलशन का शायद काँटे हैं मेरे... काँटे हैं मेरे दामन के लिए और फूल तेरे आँचल के लिए (काँटे हैं मेरे दामन के लिए) (और फूल तेरे आँचल के लिए) (काँटे हैं मेरे दामन के लिए) (और फूल तेरे आँचल के लिए) आवारा हवा का झोंका हूँ आ निकला हूँ पल-दो-पल के लिए (आवारा हवा का झोंका हूँ) (आ निकला हूँ पल-दो-पल के लिए) तुम आज तो पत्थर बरसा लो कल रोओगे मुझ पागल के लिए (तुम आज तो पत्थर बरसा लो) (कल रोओगे मुझ पागल के लिए) (कल रोओगे मुझ पागल के लिए) (कल रोओगे मुझ पागल के लिए) (कल रोओगे मुझ पागल के लिए) (कल रोओगे मुझ पागल के लिए)
Writer(s): Qaisar Jaffari, Mohd. Shafi Niyazi Lyrics powered by www.musixmatch.com
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