가사
कोई आन बेचता है, कोई शान बेचता है
कोई आन बेचता है, कोई शान बेचता है
क्या-क्या जहाँ में तौबा इंसान बेचता है
मैं फूल बेचती हूँ...
मैं फूल बेचती हूँ, मैं हूँ फूलवाली
मैं फूल बेचती हूँ...
होय-होय-होय-होय, मैं फूल बेचती हूँ, मैं हूँ फूलवाली
हो, जनाब-ए-आली
मैं फूल बेचती हूँ...
हो-ओ-ओ, मैं फूल बेचती हूँ, मैं हूँ फूलवाली
मैं फूल बेचती हूँ...
भगवान की हो पूजा...
भगवान की हो पूजा या प्यार के इशारें
होते हैं इस जहाँ में फूलों से काम सारे
दुल्हे ने बांधा फूलों का सेहरा
दुल्हन ने माला डाली
...मैं हूँ फूलवाली
मैं फूल बेचती हूँ, मैं हूँ फूलवाली
मैं फूल बेचती हूँ...
किस काम की ये बिंदिया?
किस काम की ये बिंदिया? किस काम का ये कजरा?
१६ सिंगार पे है भारी ये एक गजरा
जो ये लगाए, साजन को ये भाए
गोरी हो या काली
...मैं हूँ फूलवाली
मैं फूल बेचती हूँ, मैं हूँ फूलवाली
मैं फूल बेचती हूँ...
एक रोज़ एक लड़का...
एक रोज़ एक लड़का फूल ले गया था
जाते हुए वो हँस के दिल अपना दे गया था
सोचा ना समझा खा बैठी धोखा
मैं थी भोली-भाली
मैं फूल बेचती हूँ...
कोई आन बेचता है, कोई शान बेचता है
क्या-क्या जहाँ में तौबा इंसान बेचता है
मैं फूल बेचती हूँ...
मैं फूल बेचती हूँ...
मैं फूल बेचती हूँ...
मैं फूल बेचती हूँ...
Written by: Laxmikant-Pyarelal