Bhupinder Singh의 상위 곡
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가사
हुज़ूर इस कदर भी ना इतराके चलिये
हुज़ूर इस कदर भी ना इतराके चलिये
खुले आम आँचल ना लहरा के चलिये
हुज़ूर इस कदर भी ना इतराके चलिये
खुले आम आँचल ना लहरा के चलिये
हुज़ूर इस कदर भी ना इतराके चलिये
कोई मनचला अगर पकड़ लेगा आँचल
कोई मनचला अगर पकड़ लेगा आँचल
ज़रा सोचिये आप क्या कीजियेगा
लगा दे अगर बढ़ के जुल्फों में कलियाँ
लगा दे अगर बढ़ के जुल्फों में कलियाँ
तो क्या अपनी जुल्फें झटक दिजीयेगा
हुज़ूर इस कदर भी ना इतराके चलिये
खुले आम आँचल ना लहरा के चलिये
हुज़ूर इस कदर भी ना इतराके चलिये
बहोत खूबसूरत है हर बात लेकिन
बहोत खूबसूरत है हर बात लेकिन
अगर दिल भी होता, तो क्या बात होती
लिखी जाती फिर दास्ताँ-ए-मोहब्बत
लिखी जाती फिर दास्ताँ-ए-मोहब्बत
एक अफसाने जैसी मुलाक़ात होती
हुज़ूर इस कदर भी ना इतराके चलिये
खुले आम आँचल ना लहरा के चलिये
हुज़ूर इस कदर भी ना इतराके चलिये
खुले आम आँचल ना लहरा के चलिये
हुज़ूर इस कदर भी ना इतराके चलिये
Writer(s): Mohd. Rafi
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