가사
बारिशें आ गईं और चली भी गईं
कोई दिल में सिवा तेरे आया नहीं
जब भी सज्दा किया, नाम तेरा लिया
भूल जाना तुझे हमको आया नहीं
दिल तो है, पर जाने क्यूँ
धड़का ही नहीं है कब से
ये दुआ है मेरी रब से...
ये दुआ है मेरी रब से, तुझे आशिक़ों में सब से
मेरी आशिक़ी पसंद आए, मेरी आशिक़ी पसंद आए
ये दुआ है मेरी रब से, तुझे आशिक़ों में सब से
मेरी आशिक़ी पसंद आए, मेरी आशिक़ी पसंद आए
मेरी आशिक़ी पसंद आए
तुम ही अब कुछ कहो
सुलझाऊँ कैसे ये मुश्किल?
हाँ, तुम ही अब कुछ कहो
सुलझाऊँ कैसे ये मुश्किल?
झूठ बोल के ही
रख लो ना तुम मेरा ये दिल
चाहो तो तोड़ देना
टूटा ही नहीं ये कब से
ये दुआ है मेरी रब से, तुझे आशिक़ों में सब से
मेरी आशिक़ी पसंद आए, मेरी आशिक़ी पसंद आए
मेरी आशिक़ी पसंद आए
क़तरा-क़तरा जी रहा हूँ, लम्हा-लम्हा मर रहा हूँ
कैसे ख़ुद को मैं सँभालूँ तू बता?
तेरे बिन है सूना-सूना मेरे दिल का कोना-कोना
तू क्या जाने, कैसे इतने दिन जिया
कैसे दिल को...
कैसे दिल को मैं मनाऊँ?
नाराज़ पड़ा है कब से
ये दुआ है मेरी रब से, तुझे आशिक़ों में सब से
मेरी आशिक़ी पसंद आए, मेरी आशिक़ी पसंद आए
मेरी आशिक़ी पसंद आए, मेरी आशिक़ी पसंद आए
मेरी आशिक़ी पसंद आए
Writer(s): Gaurav Sansanwal
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