가사

दिललगी, कैसी ये आग है बुझे न, मिटे न, थमे न कभी ये कैसी प्यास है दिलजली, कैसी ये रात है रुलाये, हँसाए, सताए मुझे ये कैसी आस है ऐ अजनबी इतना बता क्यों देखा लगे चेहरा तेरा ऐ अजनबी इतना बता क्यों जिया लगे फ़साना तेरा दिललगी, कैसी ये आग है बुझे न, मिटे न, थमे न कभी ये कैसी प्यास है ख़ामोशी कैसे मेरी समझता है तू जो न कही भी मैंने सुनता है तू सपनों में कैसे मेरे आ जाता है तू सोयी उम्मीदें मेरी जगाता है तू तू है भी, नहीं भी, मेरी ही नहीं भी, ये बेबसी तूने है दी ऐ अजनबी इतना बता क्यों सच्चा लगे बहाना तेरा ऐ अजनबी इतना बता क्यों जिया लगे फ़साना तेरा
Writer(s): Kiran Vikram Frederick Bhatt, Harish Subhash Sagane Lyrics powered by www.musixmatch.com
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