가사

मैं तो कब से खड़ी इस पार ये अखियाँ थक गई पंथ निहार आजा रे परदेसी मैं तो कब से खड़ी इस पार ये अखियाँ थक गई पंथ निहार आजा रे परदेसी मैं दीए की ऐसी बाती जल ना सकी जो बुझ भी ना पाती मैं दीए की ऐसी बाती जल ना सकी जो बुझ भी ना पाती आ मिल मेरे जीवन साथी ओ, आजा रे... मैं तो कब से खड़ी इस पार ये अखियाँ थक गई पंथ निहार आजा रे परदेसी तुम संग जनम-जनम के फेरे भूल गए क्यूँ साजन मेरे? तुम संग जनम-जनम के फेरे भूल गए क्यूँ साजन मेरे? तड़पत हूँ मैं साँझ-सवेरे ओ, आजा रे... मैं तो कब से खड़ी इस पार ये अखियाँ थक गई पंथ निहार आजा रे परदेसी मैं नदिया, फिर भी मैं प्यासी भेद ये गहरा, बात ज़रा सी मैं नदिया, फिर भी मैं प्यासी भेद ये गहरा, बात ज़रा सी बिन तेरे हर साँस उदासी ओ, आजा रे... मैं तो कब से खड़ी इस पार ये अखियाँ थक गई पंथ निहार आजा रे परदेसी
Writer(s): Salil Choudhury Lyrics powered by www.musixmatch.com
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