Aankomende concerten voor Sonu Nigam & Sadhana Sargam
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Topsongs van Sonu Nigam
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Credits
PERFORMING ARTISTS
Sonu Nigam
Performer
Sadhana Sargam
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Anu Malik
Composer
Gulzar
Lyrics
Songteksten
मोहब्बतों में जीने वाले ख़ुशनसीब हैं
मोहब्बतों में मरने वाले भी अजीब हैं
अज़ीम है हमारी दास्ताँ, जान-ए-मन
फ़ासलों पे रहते हैं, लेकिन क़रीब हैं
हम को मालूम है, इश्क़ मासूम है
दिल से हो जाती हैं ग़लतियाँ
सब्र से इश्क़ महरूम है
हम को मालूम है, इश्क़ मासूम है
दिल से हो जाती हैं ग़लतियाँ
सब्र से इश्क़ महरूम है
हम को मालूम है, इश्क़ मासूम है
दिल से हो जाती हैं ग़लतियाँ
सब्र से इश्क़ महरूम है
(जान-ए-मन, जान-ए-मन)
(जान-ए-मन, जान-ए-मन)
हुआ जो ज़माने का दस्तूर है
Mom मानी नहीं, dad नाराज़ था
मेरी बर्बादियों का वो आग़ाज़ था
इश्क़ का एक ही एक अंदाज़ था
वो ना राज़ी हुए, हम भी बाग़ी हुए
बेक़रार हम फ़रार हो गए
Hmm, हम को मालूम है, इश्क़ मासूम है
दिल से हो जाती हैं ग़लतियाँ
सब्र से इश्क़ महरूम है
मैं परेशान हूँ एक मजबूरी पर
होगा ग़म जान कर, साथ हूँ मैं, मगर
मुझको रहना पड़ेगा ज़रा दूरी पर
सिर्फ़ दो ही महीने हैं, सह लो अगर
मेरा future है, तेरी क़सम
मेरा future है इस में, पिया
हम को मालूम है, इश्क़ मासूम है
दिल से हो जाती हैं ग़लतियाँ
सब्र से इश्क़ महरूम है
वक़्त से हारा लौटा जो मैं
लौटकर अपने घर जा चुकी की थी पिया
Phone करता रहा, phone भी ना लिया
मैंने ख़त भी लिखें, साल-भर ख़त लिखें
मेरी आवाज़ पहुँची नहीं
खो गई मेरी पिया कहीं
मुझको उम्मीद थी, एक दिन तो कभी
वो भी आवाज़ देगी मुझे
(हम को मालूम है, इश्क़ मासूम है)
(दिल से हो जाती हैं ग़लतियाँ)
(सब्र से इश्क़ महरूम है)
Writer(s): Gulzar
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