Credits
PERFORMING ARTISTS
Mohd. Rafi
Lead Vocals
COMPOSITION & LYRICS
Hansraj Behl
Composer
Arzoo Lakhnavi
Songwriter
Songteksten
जिन रातों में नींद उड़ जाती है
क्या कहर की रातें होती हैं
दरवाज़ों से टकरा जाते हैं
दीवारों से बातें होती हैं
जिन रातों में नींद उड़ जाती है
क्या कहर की रातें होती हैं
दरवाज़ों से टकरा जाते हैं
दीवारों से, दीवारों से बातें होती हैं
जिन रातों में नींद...
घिर-घिर के जो बादल आते हैं
और बेबरसे खुल जाते हैं
आशाओं की...
आशाओं की झूठी दुनिया में
सूखी बरसातें होती हैं
जिन रातों में नींद...
अर्ज़ किया है
जब वो नहीं होते पहलू में
और लंबी रातें होती हैं
याद आ के...
याद आ के सताती रहती हैं
और दिल से...
और दिल से बातें होती हैं
जिन रातों में नींद...
ग़ौर फ़रमाइए
हँसने में जो आँसू आते हैं
दो तस्वीरें दिखलाते हैं
हर रोज़...
हर रोज़ जनाज़े उठते हैं
हर रोज़ बारातें होती हैं
जिन रातों में नींद...
मक़्ता अर्ज़ है
हिम्मत किसकी है जो पूछ सके
ये आरज़ू-ए-सौदाई से?
क्यूँ साहिब...
क्यूँ साहिब, आख़िर अकेले में
ये किससे...
ये किससे बातें होती हैं?
जिन रातों में नींद उड़ जाती है
क्या कहर की रातें होती हैं
दरवाज़ों से टकरा जाते हैं
दीवारों से बातें होती हैं
जिन रातों में नींद...
Written by: Arzoo Lakhnavi, Hansraj Behl

