Songteksten
घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर
पहली दफ़ा मैंने जब उसको देखा था
साँसें गई ये ठहर
रहता है दिल में मेरे, कैसे बताऊँ उसे?
मैं तो नहीं कह सकी, कोई बता दे उसे
घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर
उसकी गली में हैं ढली कितनी ही शामें मेरी
देखे कभी वो जो मुझे, खुश हूँ मैं इतने में ही
मैंने तरीके १०० आज़माए
जा के उसे ना कुछ बोल पाए
बैठे रहे हम रात भर
जो पास जाती हूँ, सब भूल जाती हूँ
मिलती है जब ये नज़र
घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर
कल जो मिले वो राहों में, तो मैं उसे रोक लूँ
उसके दिल में क्या है छिपा, एक बार मैं पूछ लूँ
पर अब वहाँ वो रहता नहीं है
मैंने सुना है वो जा चुका है
खाली पड़ा है ये शहर
मैं फिर भी जाती हूँ, सब दोहराती हूँ
शायद मिले कुछ ख़बर
घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर
Writer(s): Rajesh Roshan, Javed Akhtar, Amaal Mallik, Kunaal Vermaa
Lyrics powered by www.musixmatch.com