Topsongs van Kailash Kher
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Credits
PERFORMING ARTISTS
Kailash Kher
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Prasoon Joshi
Songwriter
Songteksten
दूर उस आकाश की गहराइयों में
इक नदी से बह रहे हैं आदियोगी
शून्य सन्नाटे टपकते जा रहे हैं
मौन से सब कह रहे हैं आदियोगी
योग के इस स्पर्श से अब
योगमय करना है तन-मन
साँस शाश्वत सनन-सननन
प्राण गुंजन घनन-घननन
उतरे मुझमें आदियोगी
योग धारा छलक छन-छन
साँस शाश्वत सनन-सननन
प्राण गुंजन घनन-घननन
उतरे मुझमें आदियोगी
उतरे मुझमें आदियोगी
सो रहा है नृत्य, अब उसको जगाओ
आदियोगी, योग डमरू डगडगाओ
श्रृष्टि सारी हो रही बेचैन देखो
योग वर्षा में मुझे आओ भिगाओ
प्राण घुँगरू खनखनाओ
खनक खन-खन, खनक खन-खन
साँस शाश्वत सनन-सननन
प्राण गुंजन घनन-घननन
उतरे मुझमें आदियोगी
योग धारा छलक छन-छन
साँस शाश्वत सनन-सननन
प्राण गुंजन घनन-घननन
उतरे मुझमें आदियोगी
उतरे मुझमें आदियोगी
पीस दो अस्तित्व मेरा
और कर दो चूरा-चूरा
पूर्ण होने दो मुझे और
होने दो अब पूरा-पूरा
भस्म वाली रस्म कर दो, आदियोगी
योग उत्सव रंग भर दो, आदियोगी
बज उठे ये मन सितारी
झनन-झननन, झनन-झननन
साँस शाश्वत सनन-सननन
प्राण गुंजन घनन-घननन
साँस शाश्वत सनन-सननन
प्राण गुंजन घनन-घननन
साँस शाश्वत सनन-सननन
प्राण गुंजन घनन-घननन
उतरे मुझमें आदियोगी
योग धारा छलक छन-छन
साँस शाश्वत सनन-सननन
प्राण गुंजन घनन-घननन
उतरे मुझमें आदियोगी
उतरे मुझमें आदियोगी
Writer(s): Prasoon Joshi
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