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काँधे पे सूरज टिका के चला तू हाथों में भर के चला बिजलियाँ काँधे पे सूरज टिका के चला तू हाथों में भर के चला बिजलियाँ तूफ़ाँ भी सोचे, ज़िद तेरी कैसी ऐसा जुनूँ है किसी में कहाँ बहता चला तू, उड़ता चला तू जैसे उड़ें बे-धड़क आँधियाँ बहता चला तू, उड़ता चला तू जैसे उड़ें आँधियाँ मंज़र है ये नया, मंज़र नया, मंज़र है ये नया कि उड़ रही हैं बे-धड़क सी आँधियाँ मंज़र है ये नया, मंज़र नया, मंज़र है ये नया कि उड़ रही हैं बे-धड़क सी आँधियाँ कँपते थे रस्ते, लोहे से बस्ते बस्तों में तू भर चला आसमाँ आएँगी सदियाँ, जाएँगी सदियाँ रह जाएँगे फिर भी तेरे निशाँ बहता चला तू, उड़ता चला तू जैसे उड़ें बे-धड़क आँधियाँ बहता चला तू, उड़ता चला तू जैसे उड़ें आँधियाँ मंज़र है ये नया, मंज़र नया, मंज़र है ये नया कि उड़ रही हैं बे-धड़क सी आँधियाँ मंज़र है ये नया, मंज़र नया (मंज़र है ये नया) कि उड़ रही हैं बे-धड़क सी आँधियाँ
Writer(s): Abhiruchi Chand, Shashwat Sachdev Lyrics powered by www.musixmatch.com
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