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सैयाँ, छोड़ के ना जा रे
का करूँ तोहरे बिन? ना जा रे
का से बोलूँ मैं जा के जी की बतियाँ रे?
काटी जाएँ ना सूनी, काली रतियाँ रे
सैयाँ, छोड़ के ना जा रे
का करूँ तोहरे बिन? ना जा रे
का से बोलूँ मैं जा के जी की बतियाँ रे?
काटी जाएँ ना सूनी, काली रतियाँ रे
रूठी है, खोई है मोसे मोरी निंदिया
काटे कटें ना रतियाँ
रूठी है, खोई है मोसे मोरी निंदिया
काटे कटें ना रतियाँ
रो के अब तो अखियाँ भी हारी
काहे माने ना बतियाँ?
तू जो रूठा है, जग ये छूटा है
सुन मोरी अरज, ना जा रे
सैयाँ, छोड़ के ना जा रे
का करूँ तोहरे बिन? ना जा रे
का से बोलूँ मैं जा के जी की बतियाँ रे?
काटी जाएँ ना सूनी, काली रतियाँ रे
ना जा, ना जा
ना जा, सैयाँ, सैयाँ
Writer(s): Palak Muchhal, Palaash Muchhal
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