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Sounds of Isha
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COMPOSITION & LYRICS
Saint Kabir
Saint Kabir
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आज बदरा उठा प्रेम का ए-जी, बदरा उठा प्रेम का, रे हम पर बरसा होए हर्षिली हो गई आत्मा और हरी-भरी बनराई मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले क्या बोले फिर क्या बोले क्या बोले फिर क्या बोले मस्त हुआ फिर क्या बोले मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले हल्की थी जब चढ़ी तराज़ू हाँ, हल्की थी जब चढ़ी तराज़ू हल्की थी जब चढ़ी तराज़ू हल्की थी जब चढ़ी तराज़ू पूरी भरी फिर क्या तौले पूरी भरी फिर क्या तौले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले हीरा पाया बाँध गठरिया, हो हीरा पाया बाँध गठरिया हीरा पाया बाँध गठरिया बार-बार वा को क्यों खोले बार-बार वा को क्यों खोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले हँसा न्हावे मानसरोवर हँसा न्हावे मानसरोवर, हो हँसा न्हावे मानसरोवर हँसा न्हावे मानसरोवर ताल तलैया में क्यों डोले ताल तलैया में क्यों डोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले क्या बोले फिर क्या बोले क्या बोले फिर क्या बोले क्या बोले फिर क्या बोले मस्त हुआ फिर क्या बोले मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले कहत कबीर, सुनो भाई, साधो कहत कबीर, सुनो भाई, साधो कहत कबीर, "सुनो भाई, साधो साहिब मिल गया तिल ओले" साहिब मिल गया तिल ओले साहिब मिल गया तिल ओले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले
Writer(s): Saint Kabir Lyrics powered by www.musixmatch.com
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