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वो कहते हैं ना
जो होता है अच्छे के लिए होता है
गलत कहते हैं
क़िस्मत का खेल है सारा, फिरता था मैं आवारा
ये क्या से क्या हो गया?
चार दिन की ज़िंदगानी, हर पल एक नई कहानी
क्या था मैं, क्या बन गया
क्या हुआ जो लारी छूटी, जीवन की गाड़ी लूटी
ख़्वाब है तो मुझ को ना जगा
ज़िंदगी एक पल में साली, यूँ पलट गई हमारी
झूठ है तो मुझ को ना बता
Mumbai, सुना है यहाँ आदमी
पूरी ज़िंदगी अपनी क़िस्मत
Slow track से fast track पर लाने में निकाल देता है
पर ढाई घंटे में मेरी क़िस्मत ऐसे
Slow track से fast track पर आ जाएगी
ये मैंने कभी सोचा नहीं था
सज़ा मज़ा बन जाएगी ये भी कभी सोचा नहीं था
Last local क्या छूटी
साला, क़िस्मत पटरी पे आ गई
कर लो जो भी करना है, होता है जो होना है
गुज़रा तो पल ये, फिर ना आएगा
क्या बुरा है? क्या भला है? वक़्त ही शायद खुदा है
हो जाने दो, फिर देखा जाएगा
क्या हुआ जो लारी छूटी, जीवन की गाड़ी लूटी
ख़्वाब है तो मुझ को ना जगा
ज़िंदगी एक पल में साली, यूँ पलट गई हमारी
झूठ है तो मुझ को ना बता
वो कहते हैं ना
जो होता है अच्छे के लिए होता है
सही कहते हैं
Writer(s): Iqbal Raakin
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