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दिल ने की फिर से है क्यूँ कर ली ख़ता? क्यूँ दर्द नया है खुद को दिया? हो, अनजानी बातों पे क्यूँ करने लगा यकीं इतना ये कैसी सज़ा मिली मुझे बता दे क्यूँ है तू बन गया मेरी हर शाम, हर सुबह कि अब हूँ सोचता हर दफ़ा, "क्यूँ तुझसे मिला" बता दे क्यूँ... उलझी सी ख़्वाहिशें, बहका सा मन मेरा मेरी वजह से तेरी हवा में बह रहा कि अब जो तू ना मेरा, कैसा है ये सिलसिला कि हर क़दम, हर घड़ी इस बात का है गिला बता दे क्यूँ हूँ मैं बन गया क्यूँ खुद से ही यूँ बेवफ़ा कि जब भी ढूँढता कोई मेरा, क्यूँ तुझसे मिला? बता दे क्यूँ है तू बन गया मेरी हर शाम, हर सुबह? कि अब हूँ सोचता हर दफ़ा, "क्यूँ तुझसे मिला" बता दे क्यूँ...
Writer(s): Yash Surendra Narvekar, Rishabh Anil Kant Lyrics powered by www.musixmatch.com
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