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पानी पर्यो सरर, छाना बज्यो गरर
मनमा उठ्यो आज मेरो आनन्दको लहर
हिजोको बिपना आज भएछ सपना
ए कान्छी, कति चाँडै बितेको यो जीवन
पानी पर्यो सरर, भिज्यो कालेबुङ सहर
कालो-कालो बादल चढी फर्की आयो असार, लहै
जिन्दगी कहिले घाम कहिले पानी, लैबरी लै
माया नै सबैभन्दा ठूलो कुरो रैछ नि है
चारैतिर निला-निला आकाश नै छायो है
वरिपरि लागेको यो कुइरो हरायो है
मनलाई साँचो राखी हिँडिँरहेछु
म तिम्रो साहारामै बाँचिरहेछु, मायालु
पानी पर्याे सरर, झोडा बग्याे गरर
फर्की आएँ तिम्रैतिर छाडी सारा संसार
हिजोको बिपना आज भएछ सपना
ए कान्छी, कति चाँडै बितेकाे याे जीवन
पानी पर्याे सरर, भिज्याे कालेबुङ सहर
कालाे-कालाे बादल चढी फर्की आयाे असार
लैबरी, लैबरी, लैबरी लै, ओ, नानी
लैबरी, लैबरी लै
लैबरी, लैबरी, लैबरी लै, ओ, नानी
लैबरी, लैबरी लै
लैबरी, लैबरी, लैबरी लै, ओ, नानी
लैबरी, लैबरी लै
लैबरी, लैबरी, लैबरी लै, ओ, नानी
लैबरी, लैबरी लै
लैबरी, लैबरी, लैबरी लै, ओ, नानी
लैबरी, लैबरी लै
Writer(s): Bipul Chettri
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