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ओ जीजी ओ जीजी, क्या कह के उनको बुलाओगी? दूल्हा बन के जो आएँगे ओ जीजी, बोलो तो, क्या कह के उनको बुलाओगी? दूल्हा बन के जो आएँगे "ए-जी", "ओ-जी", हम ना कहेंगे हम तो इशारों में बातें करेंगे "ए-जी", "ओ-जी", हम ना कहेंगे हम तो इशारों में बातें करेंगे सब जैसे अपने उनको बुलाते हैं वैसे हम ना बुलाएँगे, ओ छोटी शादी है दिल्ली का लड्डू, लड्डू ये हर मन में फूटे इसका लगे हर दाना भला हो, जो खाए पछताए, जो ना खाए वो पछताए तो खाकर ही पछताना भला ये लड्डू तुझको भी इक दिन खिलाएँगे तेरे साजन जब आएँगे, ओ छोटी मीठी है बृज की मिठाई, लड्डू, पेड़ा, बालूशाही पर सबसे मीठी हो तुम, जीजी हो, कंचन के जैसी खरी है, रस ये रस की भरी है गन्ने की गंडेरी है तू, छोटी बृज की ये मीठी मिठाई सदा के लिए जीजा बाँध ले जाएँगे, ओ जीजी गाने को तुम गा रही हो, जी अपना बहला रही हो नज़र तो है राहों में लगी ए छोटी, तू खोटी बड़ी है, बहना को बस छेड़ती है मैं तो यहाँ कामों में लगी आने दो, जीजी, तुम्हारे जी की दशा जीजा को बताएँगे, ओ जीजी
Writer(s): Ravindra Jain Lyrics powered by www.musixmatch.com
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