Tekst Utworu

आज इस मुबारक मौक़े पर मैं आप लोगों को मेरी Kamini की दास्तान सुनाना चाहता हूँ मोहब्बत की दास्तान एक हसीना थी, एक दीवाना था क्या उमर, क्या समाँ, क्या ज़माना था एक हसीना थी, एक दीवाना था क्या उमर, क्या समाँ, क्या ज़माना था एक दिन वो मिले, (रोज़ मिलने लगे) एक दिन वो मिले, (रोज़ मिलने लगे) फिर मोहब्बत हुई, (बस क़यामत हुई) सुनके ये दास्ताँ, खो गए तुम कहाँ? लोग हैरान हैं, क्योंकि अंजान हैं इश्क़ की वो गली, बात जिसकी चली उस गली में मेरा आना-जाना था एक हसीना थी, एक दीवाना था क्या उमर थी, क्या समाँ था, क्या ज़माना था एक हसीना थी, एक दीवाना था उस हसीं ने कहा, (सुनो जान-ए-वफ़ा) उस हसीं ने कहा, ("सुनो जान-ए-वफ़ा) ये फ़लक, ये ज़मीं, तेरे बिन कुछ नहीं तुझपे मरती हूँ मैं, प्यार करती हूँ मैं तेरे बिन ज़िंदगी कुछ नहीं, कुछ नहीं" आशिक़ी में उनका आलम क्या सुहाना था एक हसीना थी, एक दीवाना था क्या उमर थी, क्या समाँ था, क्या ज़माना था एक हसीना थी, एक दीवाना था बेवफ़ा यार ने अपनी महबूब से ऐसा धोका किया, ऐसा धोका किया, ऐसा धोका किया ज़हर उसको दिया, ज़हर उसको दिया, ज़हर उसको दिया मर गया वो जवाँ, मर गया वो जवाँ, अब सुनो दास्ताँ जन्म लेके कहीं फिर वो पहुँचा वहीं शक्ल अंजान थी, अक़्ल हैरान थी सामना जब हुआ, फिर वही सब हुआ सामना जब हुआ, फिर वही सब हुआ उसपे ये क़र्ज़ था, उसका ये क़र्ज़ था क़र्ज़ तो क़र्ज़ अपना चुकाना था
Writer(s): Sameer Lyrics powered by www.musixmatch.com
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