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रातों के साएँ घने, जब बोझ दिल पर बने ना तो जले बाती, ना हो कोई साथी ना तो जले बाती, ना हो कोई साथी फिर भी ना डर अगर बुझें दीए सहर तो है तेरे लिए रातों के साएँ घने, जब बोझ दिल पर बने ना तो जले बाती, ना हो कोई साथी ना तो जले बाती, ना हो कोई साथी फिर भी ना डर अगर बुझें दीए सहर तो है तेरे लिए जब भी मुझे कभी कोई जो ग़म घेरे लगता है, होंगे नहीं सपने ये पूरे मेरे जब भी मुझे कभी कोई जो ग़म घेरे लगता है, होंगे नहीं सपने ये पूरे मेरे कहता है दिल मुझको, "माना हैं ग़म तुझको फिर भी ना डर अगर बुझें दीए सहर तो है तेरे लिए" जब ना चमन खिले मेरा बहारों में जब डूबने मैं लगूँ रातों के मझधारों में जब ना चमन खिले मेरा बहारों में जब डूबने मैं लगूँ रातों के मझधारों में मायूस मन डोले, पर ये गगन बोले "फिर भी ना डर अगर बुझें दीए सहर तो है तेरे लिए" जब ज़िंदगी किसी तरह बहलती नहीं ख़ामोशियों से भरी जब रात ढलती नहीं जब ज़िंदगी किसी तरह बहलती नहीं ख़ामोशियों से भरी जब रात ढलती नहीं तब मुस्कुराऊँ मैं, ये गीत गाऊँ मैं फिर भी ना डर अगर बुझें दीए सहर तो है तेरे लिए रातों के साएँ घने, जब बोझ दिल पर बने ना तो जले बाती, ना हो कोई साथी ना तो जले बाती, ना हो कोई साथी फिर भी ना डर अगर बुझें दीए सहर तो है तेरे लिए
Writer(s): Yogesh, Salil Choudhury Lyrics powered by www.musixmatch.com
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