Kredyty

PERFORMING ARTISTS
Nitin Mukesh
Nitin Mukesh
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Aziz Qaisi
Aziz Qaisi
Songwriter
Laxmikant-Pyarelal
Laxmikant-Pyarelal
Composer

Tekst Utworu

भवसागर पर लगा है मेला, भई संतन की भीड़
भवसागर पर लगा है मेला, भई संतन की भीड़
धरम, करम, भरम की लीला, राजा, रंक, फ़क़ीर
कौन उतारे पार कि तू ही नाव, किनारा, पानी
ऊँच, नीच, बीच की कैसी अद्भुत भई कहानी
ऊँच, नीच, बीच की कैसी अद्भुत भई कहानी
ऊँच, नीच, बीच की कैसी अद्भुत भई कहानी
ऊँच, नीच, बीच की कैसी अद्भुत भई कहानी
तन-मन, बोल-बचन ने तेरे सारा जाल बिछाया
तन-मन, बोल-बचन ने तेरे सारा जाल बिछाया
देखो तो जग, काया, छाया, सोचो तो सब माया
देखो तो जग, काया, छाया, सोचो तो सब माया
कुंभ में जल है, कुंभ है जल में, बाहर-भीतर पानी
ऊँच, नीच, बीच की कैसी अद्भुत भई कहानी
ऊँच, नीच, बीच की कैसी अद्भुत भई कहानी
ऊँच, नीच, बीच की कैसी अद्भुत भई कहानी
रमता जोगी, बहता पानी, काल-समय की लहर
एक की भोर, दूजे की साँझ है, तीजे की दोपहर
रुत-रुत बदले रूप बुढ़ापा, बचपन और जवानी
ऊँच, नीच, बीच की कैसी अद्भुत भई कहानी
ऊँच, नीच, बीच की कैसी अद्भुत भई कहानी
ऊँच, नीच, बीच की कैसी अद्भुत भई कहानी
ऊँच, नीच, बीच की कैसी अद्भुत भई कहानी
Written by: Aziz Qaisi, Laxmikant-Pyarelal
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