Tekst Utworu
इतनी मोहब्बत करता हूँ
कि लफ़्ज़ भी ना कह पाए
तुम मिले, मुझे यूँ लगे
जैसे कोई दुआ मिल जाए
इतनी मोहब्बत करता हूँ
कि लफ़्ज़ भी ना कह पाए
तुम मिले, मुझे यूँ लगे
जैसे कोई दुआ मिल जाए
मुझे जीना तेरा बना ले
किया खुद को तेरे हवाले
सोचूँ तुझे शाम से सुबह तक
हर लमहा
कि शब तुम हो, तुम ही दिन हो
कि शब तुम हो, तुम ही दिन हो
एक दिल ही तो था मेरा, वो भी तूने ले लिया
मुझे देना तू वफ़ा, यही तुझ से इल्तिजा
एक दिल ही तो था मेरा, वो भी तूने ले लिया
मुझे देना तू वफ़ा, यही तुझ से इल्तिजा
शबनमी सी हो तुम, मेरी प्यास में रहना
मेरा सुकून हो तुम, मेरे पास ही रहना
मुझे जीना तेरा बना ले
किया खुद को तेरे हवाले
सोचूँ तुझे शाम से सुबह तक
हर लमहा
कि शब तुम हो
तुम ही दिन हो
Writer(s): Darshan Raval, Sayeed Quadri
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