Tekst Utworu
सर पे टोपी लाल, हाथ में रेशम का रुमाल
हो, तेरा क्या कहना
सर पे टोपी लाल, हाथ में रेशम का रुमाल
हो, तेरा क्या कहना
गोरे-गोरे गाल, गाल पे उलझे-उलझे बाल
हो, तेरा क्या कहना
गोरे-गोरे गाल, गाल पे उलझे-उलझे बाल
हो, तेरा क्या कहना
हाँ, मेरे दिल, ओ, जान-ए-जाँ
चुरा के चली कहाँ नशे में भरी-भरी?
हाँ, चुराऊँ मैं दिल तेरा
जिगर भी नहीं मेरा, उमर भी नहीं मेरी
चुराऊँ मैं दिल तेरा
जिगर भी नहीं मेरा, उमर भी नहीं मेरी
बहकी-बहकी चाल-चाल, हाय, लचके जैसे डाल
हो, तेरा क्या कहना
सर पे टोपी लाल, हाथ में रेशम का रुमाल
हो, तेरा क्या कहना
सर पे टोपी लाल, हाथ में रेशम का रुमाल
हो, तेरा क्या कहना
गोरे-गोरे गाल, गाल पे उलझे-उलझे बाल
हो, तेरा क्या कहना
गोरे-गोरे गाल, गाल पे उलझे-उलझे बाल
हो, तेरा क्या कहना
हाँ, ये क्यूँ दिल पे हाथ है? वो क्या ऐसी बात है?
हमें भी बताइए
हाँ, भला इतनी दूर से कहूँ क्या हुज़ूर से?
मेरे पास आइए
भला इतनी दूर से कहूँ क्या हुज़ूर से?
मेरे पास आइए
हो-हो के बेहाल, बालमा, ये शतरंजी चाल
हो, तेरा क्या कहना
सर पे टोपी लाल, हाथ में रेशम का रुमाल
हो, तेरा क्या कहना
सर पे टोपी लाल, हाथ में रेशम का रुमाल
हो, तेरा क्या कहना
गोरे-गोरे गाल, गाल पे उलझे-उलझे बाल
हो, तेरा क्या कहना
गोरे-गोरे गाल, गाल पे उलझे-उलझे बाल
हो, तेरा क्या कहना
Writer(s): S.h. Bihari
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