Créditos

INTERPRETAÇÃO
Naezy
Naezy
Interpretação
COMPOSIÇÃO E LETRA
Naezy
Naezy
Composição
Sez
Sez
Composição

Letra

ये लड़ाई मेरी नहीं हम सबकी है
हम सबको जीने का हक़ है
आज़ादी का हक़ है
अपनी आवाज़ को उठाने का हक़ है
मुम्बई का मै छोकरा
यह नगरी है अय्याशों की अमीरो की
सितारों की फ़नकारों की घुमकारो की
गरीबो की फकीरो की
बस दाल रोटी की भी कड़की है, मजबूरी है
मालदारों की तड़की हुई तंदूरी है
भड़की हुई माँ रो री है
खा के माँ की लोरी वो
लड़की भूखी सो री है
वो तरसी हुई सी थोड़ी है
खाने को भी वो रो री है
नहाने को भी नहीं मोरी है
वो रस्ते पे ही धो री है
वो सस्ते में बड़ी हो री है
सरकार अपनी सो री है
पैसो की पड़ी बोरी है
2g 3g क्यूं जी कितनी इनकी चोरी है
चोरी तो चोरी ऊपर से सीना जोरि है, मुह पर झूटी चोली है
ये राक्षसों की टोली है
ये किस प्रकार की बस्ती है
अब मुझको आप बोलिये
अपनी आँख खोलिये
मैंने तो बस बड़बड़ करदी
कुछ तो आप सोचिये
ओह देश के नौजवान
अब कुछ तो आप बोलिये
अपने विचार खोलिये
सरकारी निज़ाम भोत ही ढीट है(चोर है साले)
तरकारी के दाम में भी चीटिंग
अवाज़ उठाना पड़ेगा क्यू क्योंकि
हक़ की लड़ाई जरूरी है (एेलान है)
सरकारी निज़ाम भोत ही ढीट है(चोर है साले)
तरकारी के दाम में भी चीटिंग
अवाज़ उठाना पड़ेगा क्यू क्योंकि
हक़ की लड़ाई जरूरी है (हक़ है)
काँधे से कंधा मिलकार
हाथी और घोड़ो को लेक्कर
चलो उनती को ढूंढ़े
हिंदुस्तानी मिट्ठी पर
सोना उगले गावरमेंट ने छुट्टी पर
साड़ी कुरसी जाली कुरसी
खैर चलो खड़े होते
खूद के पैरो पे
बजाय नोंचने एक दोसरे को
चलो नोचने
फल जो हमारे माता पीता ने बोया था
कल जो हमारे
दादा परदादा न खोया था
चल वापस लाने उन सब चीजों को
सिरफ दौलत नहीं है, शोहरात नहीं है
जज़्बा भी है, तहज़ीब है, संस्कृती है
अजीब है, पर जो भी है करीब है
दील के मिल के हम ताकतवर हैं, वरना हम तो आपस मै ही लड़ते रहेंगे
Political parties party's करती रेहंगी
कानून लटकी दे
मँत्रिलोग मस्ती मे
लाशो का ढे़र किसानो की बस्ती मे ज़बरदस्ती इनकी कब तक झेलेंगे?
अवाज़ उठानेका और खुद को आगे लाने का क्या?
खुद को आगे लाने का
खुद को आगे लाने का
खुद को आगे लाने का
खुद को आगे लाने क्या
सरकारी निज़ाम भोत ही ढीट है(चोर है साले)
तरकारी के दाम में भी चीटिंग
अवाज़ उठाना पड़ेगा क्यू क्योंकि
हक़ की लड़ाई जरूरी है (एेलान है)
सरकारी निज़ाम भोत ही ढीट है(चोर है साले)
तरकारी के दाम में भी चीटिंग
अवाज़ उठाना पड़ेगा क्यू क्योंकि
हक़ की लड़ाई जरूरी है (हक़ है)
अब कुछ तो आप बोलिये
अपने विचार खोलिये
मैंने तो बस बड़बड़ करदी अब कुछ तो आप सोचीऐ
Written by: Mohd Bilal Shaikh, Naezy, Sez
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