Letra
ऐ काश, काश यूँ होता
हर शाम साथ तू होता
चुपचाप दिल ना यूँ रोता
हर शाम साथ तू होता
गुज़ारा, हो, तेरे बिन गुज़ारा
अब मुश्किल है लगता
नज़ारा, हो, तेरा ही नज़ारा
अब हर दिन है लगता
हाल-ए-दिल तुझ को सुनाता
दिल अगर ये बोल पाता
बाख़ुदा, तुझ को है चाहता, जाँ
हाँ, तेरे संग जो पल बिताता
वक्त से मैं वो माँग लाता
याद करके मुस्कुराता, हाँ
तू मेरी राह का सितारा
तेरे बिना हूँ मैं आवारा
जब भी तन्हाई ने सताया
तुझ को बेसाख़्ता पुकारा
चाहत है मेरी ला-फ़ना
पर मेरी जाँ दिल में हूँ रखता
ख़्वाबों का कब तक लूँ सहारा?
अब तो तू आ भी जा, ख़ुदारा
मेरी ये दोनों पागल आँखें
हर पल माँगें तेरा नज़ारा
समझाऊँ इनको किस तरह?
इन पे मेरा बस नहीं चलता
हो, हाल-ए-दिल तुझ को सुनाता
दिल अगर ये बोल पाता
बाख़ुदा, तुझ को है चाहता, जाँ
तेरे संग जो पल बिताता
वक्त से मैं वो माँग लाता
याद करके मुस्कुराता, हाँ
Writer(s): Sayeed Quadri, Harshit Saxena
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