Letra

ऐ मेरे दिल कहीं और चल ग़म की दुनिया से दिल भर गया ढूँढ ले अब कोई घर नया ऐ मेरे दिल कहीं और चल ग़म की दुनिया से दिल भर गया ढूँढ ले अब कोई घर नया ऐ मेरे दिल कहीं और चल चल जहाँ गम के मारे न हों झूठी आशा के तारे न हों चल जहाँ गम के मारे न हों झूठी आशा के तारे न हों झूठी आशा के तारे न हों इन बहारों से क्या फ़ायदा जिसमें दिल की कली जल गई ज़ख़्म फिर से हरा हो गया ऐ मेरे दिल कहीं और चल चार आँसू कोई रो दिया फेर के मुँह कोई चल दिया चार आँसू कोई रो दिया फेर के मुँह कोई चल दिया फेर के मुँह कोई चल दिया लुट रहा था किसी का जहाँ देखती रह गई ये ज़मीं चुप रहा बेरहम आसमां ऐ मेरे दिल कहीं और चल ग़म की दुनिया से दिल भर गया ढूँढ ले अब कोई घर नया ऐ मेरे दिल कहीं और चल
Writer(s): Shankar Jaikishan Lyrics powered by www.musixmatch.com
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