Créditos
INTERPRETAÇÃO
Mohammed Rafi
Interpretação
COMPOSIÇÃO E LETRA
Shankar - Jaikishan
Composição
Hasrat Jaipuri
Composição
Letra
अय्य, ए नर्गिस-ए-मस्ताना
बस इतनी शिकायत है
बस इतनी शिकायत है
समझा हमें बेगाना
बस इतनी शिकायत है
बस इतनी शिकायत है
ऐ नरगिस-ए-मस्ताना
हर राह पर कतराए
हर मोड़ पर घबराए
मुंह फेर लिया है तुमने
हम जब भी नज़र आए
मुंह फेर लिया है तुमने
हम जब भी नज़र आए
हो, हमको नहीं पहचाना
बस इतनी शिकायत है
बस इतनी शिकायत है
ऐ नरगिस-ए-मस्ताना
हो जाते हो बरहम भी
बन जाते हो हमदम भी
ऐ साक़ी-ए-मयखाना
शोला भी हो, शबनम भी
ऐ साक़ी-ए-मयखाना
शोला भी हो, शबनम भी
हाए, खाली मेरा पैमाना
बस इतनी शिकायत है
बस इतनी शिकायत है
ऐ नरगिस-ए-मस्ताना
हर रंग क़यामत है
हर ढंग शरारत है
दिल तोड़ के चल देना
ये हुस्न की आदत है
दिल तोड़ के चल देना
ये हुस्न की आदत है
हाए, आता नहीं बहलाना
बस इतनी शिकायत है
बस इतनी शिकायत है
ऐ नरगिस-ए-मस्ताना
बस इतनी शिकायत है
बस इतनी शिकायत है
समझा हमें बेगाना
बस इतनी शिकायत है
बस इतनी शिकायत है
ऐ नरगिस-ए-मस्ताना
Written by: Hasrat Jaipuri, Shankar - Jaikishan

