तुम्हें देख के ही ये साँसें चलेंगी
तुम्हारे बिना अब ना ये आँखें खुलेंगी
मेरी बेक़रारी क्यूँ तुम नहीं मानते?
हमें तुमसे प्यार कितना, ये हम नहीं जानते
मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना
हमें तुमसे प्यार कितना...
तुम्हें कोई और देखे, तो जलता है दिल
बड़ी मुश्किलों से फिर सँभलता है दिल
क्या-क्या जतन करते हैं, तुम्हें क्या पता
ये दिल बेक़रार कितना, ये हम नहीं जानते
मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना
हमें तुमसे प्यार कितना...
सुना, ग़म जुदाई का उठाते हैं लोग
जाने ज़िंदगी कैसे बिताते हैं लोग
दिन भी यहाँ तो लगे बरस के समाँ
हमें इंतज़ार कितना, ये हम नहीं जानते
मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना
हमें तुमसे प्यार कितना...