Letra

अधूरी शिक़ायतें तेरे-मेरे वक़्त की कुछ पल की जो ख़ाहिशें हैं बिख़री रेत सी लक़ीरों में तेरा जो रहता पल मेरा थम जाता अगर ज़रा तेरा जहाँ, ख़ुदा तो ज़िंदा होता मैं तो ज़िंदा होता मैं हाँ, ज़िंदा होता मैं तो ज़िंदा होता मैं फ़रेबी नज़ाक़तें तेरे चेहरे की हँसी है ओढ़ी फिर रात ने झुटलाने ज़िंदगी नज़रों में जो समा रहता तू 'गर ज़रा काजल की छाँव से मैं नींद लेता चुरा तो ज़िंदा होता मैं तो ज़िंदा होता मैं हाँ, ज़िंदा होता मैं तो ज़िंदा होता मैं राख़ की बारिशों में, वक़्त की साज़िशों में मैं ये हारा, मैं ये हारा, मैं ये हारा खेल दिल दा ये हुआ है ज़ाया सारा खेल दिल दा ये हुआ है ज़ाया सारा अधूरी शिक़ायतें तेरे-मेरे वक़्त की कुछ पल की जो ख़ाहिशें हैं बिख़री रेत सी लक़ीरों में तेरा जो रहता पल मेरा थम जाता अगर ज़रा तेरा जहाँ, ख़ुदा तो ज़िंदा होता मैं तो ज़िंदा होता मैं हाँ, ज़िंदा होता मैं तो ज़िंदा होता मैं
Writer(s): Shraddha Bhilave, Sugat Shubham Lyrics powered by www.musixmatch.com
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