Créditos

INTERPRETAÇÃO
KALAM INK
KALAM INK
Interpretação
COMPOSIÇÃO E LETRA
Atul Dobhal
Atul Dobhal
Composição

Letra

वो कहती थी अपना बना लेना
अतुल नहीं रखना इन गैरो से राबता
जब लड़का सदमो में जीता था
खो के तुझे
अब गर्मियों में काँपता
अपना बना के भी खो दिया तुझको
मैं क्या मांगू रब से
वो खुदका भी सगा नहीं
एक ही इन्सान तो माँगा था मैंने
इस दुनिया में वो भी अब दुनिया में रहा नहीं
खुदी को नोच के ये डॉर्स ये लॉक है
दुख रहते ये आते ये खुशिया
क्यूं ब्लॉक्ड है
घर वाले मेरे बेटे नहीं बुलाते
अब तुझे ये सुनके मैं
रो देता ज़ोर्से
प्लीज़ अभिषा ये बहुत हुआ ड्रामा
मैं भूखा 10दिन से हम
आके खिलाना
उन हाथों से जो तूने रखे थे
सरपे
तावीज़ गले पे बहुतों के डरसे
ये दे देते ताने के झूठी
कहानी है ये
आँखों का आशु
जुबान से चखा भी है
ये मैं रातों को सीधा नहीं सोचता
हूं
मुंबत्ती जलाके आत्मा खोजता
तेरी कि शायद तू बातें करेगी
गाने सुनाऊ तो फिरसे हसेगी
तू कहती कि डोली से आऊँगी
शादी में
मुझे क्या पता था
अड़ती उठेगी
अपने ये बढ़ते ही जा रहे है
दर्द तसवीर हम लिखते ही
जा रहे हैं
ख्वाबो में तुझको मैं नंगा
कर देता
फिर तेरे ही नाम से यहां पे
चिल्ला रहे है
कैसे भुलादू ये जिस्मानी चीज़े
हवस तो शाला हर रिश्ते में
होते है
मैं कहता था कि इशा
तू मेरा गुरुर है
फिर शाली मुझसे
तू जुदा क्यूं होगी
रातों में लिख देता
गाने इन पन्नों में
पन्ने ये मेरे
दिलों की ज़ुबानी है
खुदको मैं नोच रहा
ईशा तू देख रही
ज़मीं पे आजाना कसम हमारी
कैसे ये लिख रहा हूं
खुदके हालात ये
कलम नहीं चल रहा और
सांस नहीं आ रही
जब बिल्स के नशे में
भूलू मैं तुझको
तो शाली फिर मेरे क्यूं सामने
आ रही है
हार के बैठा हूं
दुनिया सवालो से
बातें जब करनी तो
करता दिवारों से
पहले भी बोला था
अभी भी बोलूंगा
प्यार ये सच्चा अब बिकता बाज़ारों
Mein
आज दस पूरे साल में
अब तेरा नी हुं ये बात ले मानले
देख तेरे अतुल की दुनिया दीवानी है
मेरे पे मा है
तू ख़ुदको संभाल
क्यूं हम दोनो की कहानी पूरी नहीं
तू भी तो छेड़ा जो आग में
जली थी
जीता था आज की मुझे है याद
तारीख थी १२ तो खुदा के पास अब
अब दर्द है दिल में
और थोड़ा सा सबर
हाथों में टैटू
तू रखती है नज़र
जो कहा था मरने के बाद
साथ रहे
बिस्तर पे ना थे
आवेशी की कबर
वो कहती थी अपना बना लेना
अतुल नहीं रखना इन गैरो से राबता जब लड़का सदमो में जीता था
खो के तुझे
अब गर्मियों में काँपता
अपना बना के भी खो दिया तुझको
मैं क्या मांगू रब से
वो खुदका भी सगा नहीं
एक ही इन्सान तो माँगा था मैंने
इस दुनिया में वो भी अब दुनिया में रहा नहीं
वो कहती थी
वो कहती थी
वो कहती थी
गैरो से राब्ता
वो कहती थी
वो कहती थी
वो कहती थी
अतुल तू साथ था
Kalam ink
Written by: Atul Dobhal, Kalam Ink
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