Créditos

INTERPRETAÇÃO
Seedhe Maut
Seedhe Maut
Interpretação
Sez on the Beat
Sez on the Beat
Remixagem
COMPOSIÇÃO E LETRA
Sajeel Kapoor
Sajeel Kapoor
Composição
Abhijay Negi
Abhijay Negi
Letra
Siddhant Sharma
Siddhant Sharma
Letra
PRODUÇÃO E ENGENHARIA
Sez on the Beat
Sez on the Beat
Produção

Letra

[Verse 1]
इस मुंह से निकले जो भी (op)
सुनले रूह से जो भी (ओड)
छोड़ी लो खोटी जो का लिखी थी किस्मत
एक बड़ी कोठी हो रोज़ी हो
पहना बस कोट ही हो रोली हो
गड्डी नोटो की भी मोटी हो टोली हो फैंस की
सो लिओ चैन से उस दिन
[Verse 2]
अभी के जैसे ना बोतल भी खुलेगी चैन से उस दिन
मचेगा भौकाल और औकात भी धिकेगी चैन से उस दिन
इनको लगे पूरे दस साल जो किया दो सालों में बहुत ही मुश्किल
बस बचे अब और ही कुछ दिन
[Verse 3]
इस दौड़ मे फालतू की चौड़
या तौर की वजह से मौत है मुमकिन
ना आया बनाने में रिश्तेदारी
धक्के देके रख के देना जिसके तत्ते भारी
हम कभी झुके ना हल्के में ना लेना बंदे भारी
चप्पे चप्पे गप्पे चालू चर्चा भरके जारी
सीधे मौत की बारी सबको दिखा देंगे
भूल गया बितक बे वजह मत फुदक बेझिझक
चटा देंगे धूल किल्लत भगा देंगे दूर
[Verse 4]
खूबी से ज़िंदगी मूवी
ये नूबी से खूनी रह छुरी से दूर
ये पुण्य दू सारे मे चूर
है गुड्डा और फ्यूरी ज़रूर
छोटे पीछे पिद्धि अब तभी बैठूंगा
मैं पूरे सुकून से
सर्र से घर वालों की उड़ेंगी दिक्कतें जिस दिन
[Verse 5]
अभी के जैसे ना बोतल भी खुलेगी चैन से उस दिन
मचेगा भौकाल और औकात भी दिखेगी चैन से उस दिन
इनको लगे पूरे दस साल
जो किया दो सालों में बहुत ही मुश्किल
बस बचे अब और ही कुछ दिन
जब उतरेगी कंधो से ज़िम्मेदारी
[Verse 6]
अभी कमी ना मन कमीना चाहिए सब
पर साली सर पर हाबी
पेटी पे पेटी पे पेटी कर आज ही डकैती
कर राज ही वो कहती प्रणाली में कैदी अनेक हैं
इंसाफ में ना देरी चालाकी भतेरी
कला की कचहरी में पेश है
[Verse 7]
गांड जली तो तक तकी लगाके देखे काफी
सीधे किल्ली उड़े तिल्ली जले मेरी दिल्ली मेरी किसी सिसी की ना
अंदर काफी बातें दबा के बैठा
जो शकल पे कभी भी दिखेंगी ना
बिकेंगी पर उस दिन तक दिक्कत ये टिकेंगी ना
[Verse 8]
अभी कमी ना मन कमीना चाहिए सब
बुज़दिल या बाज़ हो सब कुछ दिन मेहमान हो बितालो खुशी से या भुगतो
क्यूं किश्तों से रिश्तों पे कुछ तो फर्क है
मेहनत के फल मे और काजू और पिस्तो मे
कुछ तो अलग है क्यूं ख़ुद चाटे ख़ुदकी
ये कुत्तों से ख़ुद तो कलंक हैं
[Verse 9]
अभी के जैसे ना बोतल भी खुलेगी चैन से उस दिन
मचेगा भौकाल और औकात भी धिकेगी चैन से उस दिन
इनको लगे पूरे दस साल जो किया दो सालों में बहुत ही मुश्किल
बस बचे अब और ही कुछ दिन
जब उतरेगी कंधो से ज़िम्मेदारी
[Verse 10]
अभी कमी ना मन कमीना चाहिए सब
पर साली सर पर हाबी
पेटी पे पेटी पे पेटी कर आज ही डकैती
कर राज ही वो कहती प्रणाली में कैदी अनेक हैं
इंसाफ में ना देरी चालाकी भतेरी
कला की कचहरी में पेश है
Written by: Abhijay Negi, Sajeel Kapoor, Siddhant Sharma
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