Letra

कैसी है ये रुत कि जिसमें फूल बनके दिल खिले घुल रहे हैं रंग सारे, घुल रही हैं खुशबुएँ कैसी है ये रुत कि जिसमें फूल बनके दिल खिले घुल रहे हैं रंग सारे, घुल रही हैं खुशबुएँ चाँदनी, झरने, घटायें, गीत, बारिश, तितलियाँ हम पे हो गये हैं सब मेहरबां कैसी है ये रुत कि जिसमें फूल बनके दिल खिले देखो, नदी के किनारे पंछी पुकारे, किसी पंछी को देखो, ये जो नदी है मिलने चली है सागर ही को ये प्यार का ही सारा है कारवाँ कैसी है ये रुत कि जिसमें फूल बनके दिल खिले कैसे, किसी को बतायें, कैसे ये समझायें क्या प्यार है? इसमें बंधन नहीं है और ना कोई भी दीवार है सुनो प्यार की निराली है दास्ताँ कैसी है ये रुत कि जिसमें फूल बनके दिल खिले घुल रहे हैं रंग सारे, घुल रही हैं खुशबुएँ चाँदनी, झरने, घटायें, गीत, बारिश, तितलियाँ हम पे हो गये हैं सब मेहरबां कैसी है ये रुत कि जिसमें फूल बनके दिल खिले
Writer(s): Javed Akhtar, Ehsaan Noorani, Shankar Mahadevan, Aloyius Peter Mendonsa Lyrics powered by www.musixmatch.com
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