Vídeo de música
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Créditos
PERFORMING ARTISTS
Mohd. Rafi
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Vijay Singh
Composer
Dev Kohli
Songwriter
Letra
माटी के जलते दीपक की ज्योत तो एक दिन बुझ जानी है
जो कुछ देखा और सुना जो, वो बस एक कहानी है
माटी के जलते दीपक की ज्योत तो एक दिन बुझ जानी है
छोड़ के आख़िर तन का पिंजरा, पंछी ने उड़ जाना है
परम आत्मा में जा कर ही एक दिन इसे समाना है
लोभ ना कर तू इस दुनिया का, ये दुनिया तो फ़ानी है
माटी के जलते दीपक की ज्योत तो एक दिन बुझ जानी है
पाप भरा है मन में तेरे, ज़हर भरा तेरी साँसों में
दुनिया की झूठी माया ने धूल भरी तेरी आँखों में
क़दम-कदम पर इस दुनिया में तूने ठोकर खानी है
माटी के जलते दीपक की ज्योत तो एक दिन बुझ जानी है
तेरे बस में कुछ नहीं पगले, तेरे हाथ से कुछ नहीं होना
फेंक दे अपने हाथों से ये आग उगलता हुआ खिलौना
तूने अपने मूरख मन में कैसी ज़िद ये ठानी है?
माटी के जलते दीपक की ज्योत तो एक दिन बुझ जानी है
जो कुछ देखा और सुना जो, वो बस एक कहानी है
माटी के जलते दीपक की ज्योत तो एक दिन बुझ जानी है
Written by: Dev Kohli, Vijay Singh


